जय माताजी भाईओ एक सत्य घटना ना प्रसंगनी वात छे 500 वषॅ पेला▪▪▪▪
।महाराणा प्रताप की एक कहानी।
एकवार महाराणा प्रताप दिल्ली ना नवाब अकबर सामे आचमतो आचमतो थाकि गयो तो, इ टाणे जंगली बिलाडो दिकरिबा ना हाथ माथी बचकु रोटला नु लइने वयो गयो। अने दिकरीबा ना आख मा आसुडा आवी गया अने राणा दिकरिबा ना आसुडा ना जोय सक्यो अने मनमा विचार करवा लागयो के अकबर जोडे सुलेह करि लव। त्यारे बे माणसो त्याथी पसार थई रह्या हता बन्ने पति अने पत्त्नी हता, एेमने ते खबर न हति के अा बेठेल माणस खुद मेवाड ना अधिसवर महाराणा प्रताप छे, एेटले राणा प्रतापे पुछयु के भाई आ बाजु तमे क्या जाव छे़ा, एटले बाइ माणसे कह्यु के अमे बन्ने मारा पियर मा जाय छिये, एटले राणाये पुछयु के तमारे साथे कोई संतान आव्यू नथी , एटले एमने किह्यु के ना अमारे हजी सुधी कोइ संतान नथी, तो राणा कहे के हू एकलिंगजी ने आराधना करीस के आपना माटे, पछी राणा ये पुछयु के तमने लग्न कर्या ने केटलो समय थयो छे, तो तेने कह्यु के अमारे लग्नना १० वर्ष थया छे। तो राणा कह्यु के तो कोई संतान नथी एेनु कोय कारण, तो तेमने कह्यु के अमारा लग्ननी पहेली रात एेटले के पियु मिलन नी रातना अमे प्रतिज्ञा लिधी छे के अमारो मेवाड नो राजा महाराणा प्रताप हिंदु धर्म अने मेवाड ने आजाद करवा माटे लडे छे। अने ए ज्या सुधि अमारा राजा महाराणा ने जित नही मडे त्या सुधि अमे कोइ दिवस घरसंसार नही मान्डीये अने ते वात सांभणीने राणा ने ते दिवसे दिल्लि जीत्यु होय एेटलो अानंद मड्यो। के मारि प्रजा मारी रयत अने मेवाड मने केटलो प्रेम करे छे ए दिवसे राणा बोल्या के ज्या सुधी मारु मेवाड आजाद नही थाई त्या सुधी हू मिष्ठान नही जमु अने मारी थाडी मा चपटी धूड नाखी ने जमु ई महाराणो कहेवायो भाई
आने विर सावज केवाय आना उजडा इतिहास होय
🚩🙏जय माताजी 🙏 🚩
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