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True Rajput ( सच्चा. क्षत्रिय. कौन..? )


समस्त प्रकार के साधन, यथा- धन,वैभव,जमीन, जायदाद से संपन्न या क्षत्रिय कुल में जन्म मात्र लेने से ही कोई क्षत्रिय नहीं कहलाता है,  बल्कि क्षत्रिय धर्म के पालन एवं कर्मों से सच्चा क्षत्रिय कहलाता है. क्षत्रिय बनने के लिए आर्थिक सम्पन्नता ही काफी नहीं है, अपने आचरण, अपनी संस्कृति से प्रेम, परम्पराओं का निर्वाह, सहिष्णुता, धैर्य, वीरता क्षत्रियोचित गुंणों से परिपूर्ण होना आवश्यक है.  आज जो लोग सम्पन्नता की ओर अग्रसर हो रहे हैं, लेकिन उनमे क्षत्रियता का गुण विद्यमान नहीं है,  अर्थात असत्य संभाषण, अपने बात पर अडिग नहीं रहना, लोभी, लालची, दुराचारी, धोखेवाज, शराबी, ऐयाशी, कई ऐसे तमाम अवगुणों से घिरे हैं, ऐसे लोग सर्वसम्पन्न होते हुए भी असली क्षत्रिय नहीं हो सकते  और न उनका संतान ही असली क्षत्रिय बन सकता है.  अतः क्षत्रियता के लिए यह आवश्यक है कि हम समाज से, संस्कृति से, अपने परम्पराओं से, रीति रिवाजों के साथ जुड़े रहें,  शस्त्र धारण करें और सारे अवगुणों का परित्याग करें,  अपने महान इतिहास व अपने महान पूर्वजों के आदर्श को मानें तथा अपनी महान संस्कृति, समाज का महान त्याग और बलिदान का स्मरण करते हुए उनके पदचिन्हों पर चलें,  तभी सच्चे क्षत्रिय कहलाने के योग्य होंगे और उनकी संतान भी क्षत्रिय कहलायेंगे.  हमारे इस पोस्ट से कुछ लोगों को बुरा लग सकता है,  लेकिन यह कटु सत्य है. 


Rajput Character


The Rajput ethos is martial in spirit, fiercely proud, loyal and independent, and emphasizes lineage and tradition. Rajput patriotism is legendary, an ideal they embodied by choosing death before dishonour. Rajput warriors were often known to fight until the last man. The practice of jauhar and saka was followed only in rajput communities.

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