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Rajput Unity

राजपूतो से अर्ज है... ( Unity Is Power )


राजपूतों का इतिहास बहुत ही गौरवशाली एवं प्रभावशाली रहा है | हमारी वीरता, पराक्रम , उदारता एवं स्वाभिमान सभी जातियो से बढ़कर रहा है | हमने स्वाभिमान से जीना एवं स्वाभिमान से मरना सीखा है |
आजादी के बाद जातिगत राजनीति एवं पिछडे वर्ग के लिए आरक्षण के नाम पर राजपूतों को राजनीतिक एवं आर्थिक रूप से उपेक्षित किया गया – राजपूतों की शक्ति एवं स्वाभिमान कम होता गया | अन्य जातियां हम पर हावी होती गई | गन्दी राजनीति के कारण राजपूतों में फूट पड़ गई | हम आर्थिक रूप से कमजोर होते चले गए | हमारी एकता क्षीण होती गई | जहाँ अन्य जाति के राजनीतिज्ञों ने अपनी -अपनी जाति के उत्थान के लिए खुलकर काम किया वहीँ हमारे राजपूत नेताओं ने दलितों का मशीहा बनने के नाम पर वोट की राजनीति करते हुए हमें निचा दिखाया |
अखिल भारतीय स्तर पर कुछ राजपूत संस्थायें बनी लेकिन इनकी बागडोर इतने बड़े अमीरों या राजनीतिज्ञों के हाथों में रही कि उन्हें खुलकर राजपूतों के बारे में, उनकी एकता एवं विकास के बारे में बोलने की हिम्मत ही नहीं पड़ी | कुछ शक्तिशाली एवं बाहुबली राजपूत वीरों ने राजपूती शान एवं आन को आगे बढा़ने की कोशिश की लेकिन उनमे अभिमान आ जाने तथा राजनीति में आ जाने के कारण उन्हें राजपूतों का सहयोग नहीं मिला एवं कुछ ही बरसों में कमजोर पड गए
हमें संपूर्ण भारत में बस रहे राजपूतों के ऐतिहासिक स्वाभिमान एवं शक्ति को पुनः वापस लाने का प्रयास करना है राजपूज समाज सेवा समिति विभिन्न राज्यों के राजपूतों को एक सूत्र में बांध कर राजस्थान से जोड़कर एक मजबूत राजपूत संगठन का निर्माण चाहती है | तभी राजपूतों के स्वाभिमान, शक्ति एवं आर्थिक विकास को दिशा मिलेगी | हमें राजपूतों की गरीबी एवं पिछडापन दूर कर उनमे स्वाभिमान वापस लाने का प्रयास करना होगा | साथ ही नारी शिक्षा को सुदृढ़ करना होगा | शादी में बढ़ते दहेज़ के कारण भी राजपूत समाजआर्थिक रूप से कमजोर हुआ जिसके कारण अंतरजातीय विवाह को बाध्य हो रहे है | इस कुपर्था को बंद करना होगा |
फिल्मों के माध्यम से ठाकुरों /राजपूतों को बहुत अपमानित किया गया एवं किया जा रहा है | टीवी एवं प्रिंट मीडिया राजपूतों को जागीरदार एवं अत्याचारी बताकर हमारी छवि को कलंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे | इसे रोकना होगl |


राजपूतों कि पगडी राजपूत्रियों के हांथ :--


मेरा सभी राजपूत क्षत्राणियों से अनुरोध है कि वो अपने पूरवजों द्वारा दिये गये संस्कारों को ना भुलते हुए ,
अपनी मान-मर्यादावों में रहें !! फेसबुक जैसा सोसल साईट हो या अपनी निजी जिन्दगी, सभी जगहों पे आपको अपनी दहलिज का ख्याल रखना होगा !! आप ऐसा कोई भी कार्य या पोस्ट ना करें, जिसस कि हमारा सर झुके या हमारी पगडी पे कोई आंच आये !! मैं ऐसा ईसलिये कह रहा हुं , क्युं कि राजपूत वीरों कि ईज्जत,
राजपूत्रियों से जुडा होता है !! हम क्षत्रिय कितना भी शत्तीशाली हों, बहादुर हों, या ईज्ज्तदार हों लेकिन अगर आप के ईज्जत पे थोडा सा भी दाग लगता है तो हमारी सारी बहादुरी और शोहरत किसी काम कि नहीं रहती !! कुछ राजपूत्रियों (क्षत्राणि) ने हमारे समाज का नाम बहुत खराब किया है!! अत: आप से हांथ जोडकर प्रार्थना है कि अपने राजपूती संस्कार का मान बढायें और उन क्षत्राणियों से प्रेरणा लें जिन्होंने क्षत्राणी धर्म का पालन करते हुए अपने परिवार और देश का नाम रौशन किया है !! और अंत में , मैं अपने राजपूत भाईयों से भी अनुरोध करुंगा कि वो भी अपनी मान- मर्यादा और संस्कारों को प्राथमिकता दें, ताकि सभी क्षत्राणियों को ईससे बल मिले और वो सही दिशा में आगे बढ सकें, !! ईस प्रकार के ताल-मेल से ही हम अपने पूर्वजों के सुनहरे राजपूताना का नवनिर्माण कर सकेंगे !! जय क्षात्र-क्षत्राणी धर्म

                                सभी राजपूतों से सविनय निवेदन है कि अपने प्रदेश-स्तर या राज्य-स्तर या अंतर्राष्ट्रीय-स्तर पर काम कर रहे राजपूत-संगठनों में अपनी बहुमूल्य उपस्थिति प्रकट करें और संगठन में हो रहे महान-कार्यों में अपनी सक्रियता दिखायें साथ ही अपने गौरवशाली-राजपूत-समाज के प्रति सजग भी रहें | ऐसा करने से आप मात्र अच्छे सामाजिक कार्यों में योगदान ही नहीं देंगे बल्कि अपनी सांस्कृतिक-धरोहर को पूरी सक्षमता के साथ अपनी अगली पीढ़ी के लिए संजो कर भी रख पायेंगे | "संगठित हिन्दू राजपूत दरबार" आप सभी सम्मानित राजपूतों को सक्रिय राजपूत संगठनों द्वारा किये गये महान-यज्ञ-रुपी-कार्यों से अवगत भी कराता रहेगा | राजपूतों कि अखंड एकता हेतु सपरिवार-संगठित हो जायें | संस्कार + शिक्षा + संगठन = अभेद्य गौरवशाली राजपूत महाशक्ति..



समाज हित में एक मुक्त चिंतन.....!


अगर हमें कुछ काम करना है तो वो है की हमें अपना जीवन बदलना पड़ेगा हमें क्या अच्छा लगता है या लगा है ये बात हमें ओरो पर थोपना बंद करना है ! हमें शास्त्र से सिध्ध की गयी बातो को अपनी आचारसंहिता (पोलिसी )बनाना है अगर हम ऐसा कर सकते है तो हमारी एकता संभव है.क्योंकि अगर हम गलत विषय या व्यक्ति की प्रसंशा करते है तो स्वाभाविक जो लोग नैतिकता और नीतिमत्ता में मानते है वो हमारे साथ नहीं रहेंगे और फिरतो हमारी संगठन शक्ति मजबूत होना संभव नहीं है !सबसे प्रथम हमें हमारी दिशा तय करनी है की हमें करना क्या है? उसके बाद उसके लिए क्याकरना चाहिए? ,कैसे करना चाहिए ?,क्यूँ करना चाहिए ?,ये सोचना है,उसके बाद एक संविधान बनाना है वो ऐसा हो की उसमे बदल करना जरुरी न हो ,(समय के साथ बदलाव अगर जरुरी हो तो करना पड़े मगर फिर ऐसान हो की अपनी सहूलियत के लिए बार बार उसमे बदलाव लाते रहे जैसे की हमारासंविधान है ! शाशको ने अपनी कुर्सी बचाने के लिए इतने संसोधन किये है कीमूल संविधान क्या था येही पता नहीं चलता ,हम अगर इतिहास की और देखेंगे तो हमें पता चलेगा की जब तक आचारसंहिता नहीं बदली थी हमें कोई रोकनेवाला या टोकने वाला नहीं था मगर एक बार हमने निजी स्वार्थ या किसी कारन वश उसमे बदलाव को मोका दिया की हमारी पहचान ही खतरे में पड गई ? आज जय राजपुताना, और राजपूत के बारे में कई बाते पढने को और देखने को मिलती है लेकिन हमारे पुर्वोजोकी जो सिध्धिया थी और उन सिध्धियो को उन्होंने जिस तरह सम्हाला था उस में से हम क्या सीखे ? क्या जानते है हम उनकी जीवनशैली के बारेमे,उनकी तपश्चर्या के बारे में ,उनके त्याग के बारे में ,उनके बलिदान के बारे में,उनकी प्रेरणा के बारे मे,? खास करके आज का युवा जो राजपूत होने का गर्व करता है क्या वो नियमिततन ,मन ,धन ,की पवित्रता के लिए कुछ करता है !!

. :jai mataji: .

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